शिव की कृपा पाने हेतु पूजा के लिए हमेशा ऐसे फूलों का चयन करें, जो भोलेनाथ को प्रिय है । ऐसा नहीं करने से नवग्रह जन्य परेशानियां हो जाती हैं
त्रिकालेश्वर भगवान शिव की पूजा-अर्चना में फूलों का विशेष महत्व है । विविध फूलो में से कुछ फूल ऐसे हैं, जो बाबा भोलेनाथ को विशेष प्रिय है । इन फूलों को चढ़ा कर की गई आराधना अक्षय तथा शीघ्र फलदायी होती है । वेदों में वर्णन है कि ब्राह्मण को स्वर्ण दान करने से फल प्राप्त होता है, वह भगवान शिव पर सों पुष्पों का अर्पण करने से सहज प्राप्त हो जाता है ।
शिव पूजा में प्रिय पुष्प:
ब्राह्मण को स्वर्ण दान करने का फल भगवान शिव को एक आक का फूल अर्पण करने के बराबर होता है । एक हजार आक पुष्पों को अर्पण करने का महत्व एक गुंजा के फूल को अर्पण करने जितना होता है और हजार गुंजा से ज्यादा महत्व एक चिड़चिड़ा के फूल का फल होता है । हजार चिड़चिड़ा से ज्यादा एक नीलकमल का महत्व, हजारों नीलकमल से बढ़कर एक श्वेत कमल, हजारों श्वेत कमल से ज्यादा एक कुश पुष्प, हजारों कुश पुष्पों से ज्यादा एक धतूर पुष्प का और हजारों धतूर पुष्प से ज्यादा एक शमी पुष्प का महत्व होता है । भविष्य पुराण एवं शिव पुराण में और भी कई प्रकार के फूलों का भी वर्णन है, जो शिव के प्रिय हैं । इन फूलों में मौलश्री, कुरैया, अपाजिता, शंखपुष्पी, खस, तगर नागकेसर, चंपा ,चमेली, नाग चंपा, किंकिरात, शीशम, गूलर, बेला, जयंती, पलाश, केसर तथा जल में उत्पन्न होने वाले अन्य फूल शामिल हैं ।
शिव पूजा में निषिद्ध पुष्प:
केवड़ा, केतकी, कदंब, सारहीन, शिरीष, कुंद, बकुल, कैथ गाजर, बहेड़ा कपास गंभारी, सेगल, अनार, जूही, मदंती, केतकी, केष्ठ और दोपहरिया के फूल भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए । इन्हें चढ़ाने से पूजा करने वाला व्यक्ति नवग्रह जन्य पीड़ाओं से युक्त हो जाता है, जिससे विभिन्न प्रकार की व्याधियां हो जाती हैं । सुख, समृद्धि, शांति, पुत्र-पौत्र, ऐश्वर्य और चतुर्दिक उन्नति की कामना करने वाले मनुष्यों को शिव पूजा में फूलों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।